अहिंदी वर्ग 10th subjective Question answer 2025

प्रश्न 1 बालगोबिन भगत गृहस्थ थे। फिर भी उन्हें साधु क्यों कहा जाता था?

उत्तर:अहिंदी वर्ग 10th बालगोबिन बेटा-पतोहु वाले. गृहस्थ थे लेकिन उनका आचरण साधु जैसा था । साधु आडम्बरों या अनुष्ठानों के पालन के निर्वाह से नहीं होता । यदि कोई जटाजुटे बढ़ा लें तो साधु नहीं हो सकता । वस्तुतः साधु वह है जो आचरण में शुद्धता रखता है। बालगोबिन भगत की दिनचर्या कर्त्तव्यनिष्ठता और आत्म ज्ञान उन्हें साधु.बना दिया था।

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प्रश्न 2.भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त की?

उत्तर:भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर विलाप नहीं करते दिखे।अहिंदी वर्ग 10th subjective Question answer 2025 बल्कि मग्न हो गीत गा रहे थे उनकी भावना का वह चरम-उत्कर्ष था । वो अपने पतोह से कहते थे–आनन्द मनाओ। एक आत्मा परमात्मा से मिल गया। उनकी भावना थी कि मृत्यु के बाद आत्मा-परमात्मा से मिल जाता है जो आनन्ददायक बात है। इस भावना को वे संगीत से तथा पतोह को यथार्थता का ज्ञान देकर भावना को व्यक्त कर रहे थे।प्र

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श्न 3.पुत्र-वधु द्वारा पुत्र की मुखाग्नि दिलवाना भगत के व्यक्तित्व की किस विशेषता को दर्शाता है ?

उत्तर:विवाह के बाद पति पर पत्नी का सबसे अधिक अधिकार है। पत्नी का भी कर्त्तव्य सबसे अधिक पति के प्रति ही होता है। गृहस्थ आश्रम में दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। अत: पतोहु को सबसे बड़ा अधिकारी मान उसी से मुखाग्नि दिलवाया। यह कार्य भगत के व्यक्तित्व की सच्चाई और महानता को दर्शाता है।

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प्रश्न 1.“धर्म का मर्म आचरण में है, अनुष्ठान में नहीं” स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:बालगोबिन भगत साधु थे लेकिन साधु जैसा वेश-भूषा नहीं था। आचरण की पवित्रता और दिनचर्या से वे साधु ही थे। गृहस्थ होकर भी साधु जैसा आचरण ही धर्म का मर्म है न कि साधु जैसा आडम्बर करके।

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प्रश्न 2.बालगोबिन भगत कबीर को “साहब” मानते थे। इसके क्या-क्या कारण हो सकते हैं?

उत्तर:बालगोबिन कबीर-पंथी होंगे। वे कबीर के पद से अधिक प्रभावित होंगे। भगत जी आडम्बर से दूर रहकर मानव सेवा में विश्वास रखते होंगे। कबीर के आदर्श को बालगोबिन भगत मानते होंगे । इसीलिए वे कबीर को ही अपना “साहब” मानते थे।

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प्रश्न 3.बालगोबिन भगत ने अपने पुत्र को मृत्यु पर भी शोक प्रकट नहीं । किया। उनके इस व्यवहार पर अपनी तर्कपर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त कीजिए।

‘उत्तर:बालगोबिन भगत अपने पुत्र के मृत्यु पर भी शोक प्रकट नहीं किया। उनका यह व्यवहार हमारे विचार से सत्य था। मृत्यु प्राणी को जन्म प्रदान करता है। फिर मृत्यु से शारीरिक कष्ट भी तो दूर होता है । अत: मृत्यु पर शोक करना अज्ञानता ही तो है। क्या मृत व्यक्ति के प्रति हजारों वर्ष तक शोक किया जाय तो वह लौट सकता है ? कदापि नहीं।

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प्रश्न 4.अपने गाँव-जवार में उपस्थित किसी साध का रेखाचित्र अपने शब्दों में प्रस्तुत करें।

उत्तर हमारे गाँव में एक साधु रहते हैं। बिल्कल साधु रूप स्वभाव आचार-विचार सब में साधु।। सुना गया कि कुछ साल पूर्व सम्भवतः 40-50 वर्ष पूर्व हमारे गाँव में आकर एक मंदिर में डेरा डाला । लोग उन्हें साधु-बाबा कहकर सम्मान देते हैं। साधु बाबा को कभी हमने गुस्सा या नाखुश नहीं देखा। हँसते हुए सारी समस्याओं को निदान वे कर देते हैं। किसी के घर में कलह झगड़ा-झंझट बाल-युवा-वृद्ध सभी उठकर अपने-अपने काम में लग जाते हैं। किसी के बारे में जब साधु-बाबा को पता चलता है कि रोग से पीड़ित हो गया है तो साधु बाबा इलाज के लिए प्रबन्ध करते हैं और उन्हें अस्पताल ..’ तक, ले जाते हैं ।

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प्रश्न 5.अपने परिवेश के आधार पर वर्षा-ऋतु का वर्णन करें।

उत्तर:हपारे गाँव नदी के किनारे बसा है । गाँव के तीनों ओर झील हैं। – जब वर्षा ऋतु आता है तो हमारे गाँव के चारों ओर पानी ही पानी दिखाई देता है। लोगों को बड़ी परेशानी होती है। गांव में साग-सब्जी की कमी हो जाती – है। सबसे अधिक जलावन की दिक्कत गाँव में होती है। का जब वर्षा ऋतु आती है तो लोग गाँव से बाहर धान रोपने के लिए निकल ‘ जाते हैं। गाँव से अधिक खेतों में लोग दिखाई पड़ते हैं। जब वर्षा होती रहती है तो गाँव थमा जैसा लगता है। अधिक वर्षा से गाँव वालों को बड़ी हानि . उठानी पड़ती है।

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प्रश्न 6.अब सारा संसार निस्तब्धता में सोया है, बालगोबिन भगत का संगीत – जाग रहा है, जगा रहा है।” व्याख्या Akbar।

उत्तर:प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक “किसलय भाग-3” के “बालगोबिन भगत” पाठ से संकलित है। इस पाठ के लेखक “रामवृक्ष बेनीपुरी” जी हैं। यह पाठ एक “रेखाचित्र” है। बालगोबिन की संगीत साधना गर्मी हो यो वर्षा सदैव चलता रहता था। . भादो की रात में भी चाहे वर्षा होती रहे या बिजली की करकराहट रहे । यहाँ “तक मेढ़क की टर्र-टर्र आवाज भी बालगोबिन के गीत को प्रभावित नहीं कर पाती। आधी रात में उनका गाना सबों को चौका देता। जब सारा संसार निस्तब्धता में सोया है। बालगोबिन भगत का संगीत जाग रहा है, जगा रहा

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प्रश्न 7.रूढ़ीवादिता से हमें किस प्रकार निपटना चाहिए ? किसी एक. रूढ़ीवादी परम्परा का उल्लेख करते हए बताइए कि आप किस प्रकार निपटेंगे?

उत्तर:रूढ़ीवादिता हमारे समाज के लिए अभिशाप है। इससे निपटने के लिए हमें दृढ़ सकल्प होना चाहिए । हमारा समाज रूढ़ीवादिता से संक्रमित है जिसके कारण समाज के लोगों का जीवन कठिनाइयों से भर जाता है। – उदाहरण में किसी के मरने पर खूब भोज करना हमारे विचार से उचित नहीं।कोई गरीब का बाप मर जाता है तो गाँव के लोग उसे भोज करने को विवश कर देते हैं। परिणामस्वरूप निर्धन व्यक्ति कर्ज लेकर भोज करते हैं। … फिर वे महाजन के चंगुल से निकलने के लिए वर्षों दुःख झेलते हैं। क्या जरूरत है कर्ज लेकर भोज करने को। हम अपने गाँव में रूढ़ीवादिता से होने वाले नुकसान का ज्ञान कराकर – लोगों को रूढ़ीवादिता से दूर करने का प्रयास करेंगे।

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